सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम रचना – नवगीत – सतरंगी सपने…।
रचना संसार # 15 – नवगीत – सतरंगी सपने… ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
☆
सतरंगी सपने बुनकर के,
तुम बढ़ते रहना।
चाहे कितना दुष्कर पथ हो,
तुम चलते रहना।।
*
उच्च शिखर चढ़ना है तुमको,
तन-मन शुद्ध करो।
नित्य मिले आशीष बड़ों का,
उत्तम भाव भरो।।
थाम डोर विश्वास नदी -सम,
तुम बहते रहना।
*
चाहे कितना दुष्कर पथ हो,
तुम चलते रहना।।
*
सत्कर्मों के पथ चलकर तुम,
चंदा -सम दमको।
ऊंँची भरो उड़ानें नभ में,
तारों-सम चमको।।
संबल हिय पाएगा साहस,
बस भरते रहना।
*
चाहे कितना दुष्कर पथ हो,
तुम चलते रहना।।
*
सपन सलौने पाओगे तुम,
धीरज बस रखना।
करो साधना राम नाम की,
फल मधुरिम चखना।।
तमस् दूर करने को दीपक,
सम जलते रहना।
*
चाहे कितना दुष्कर पथ हो,
तुम चलते रहना।।
*
अथक प्रयासों से ही जग में,
लक्ष्य सदा मिलता।
सुरभित जीवन बगिया होती,
पुष्प हृदय खिलता।।
सारी दुविधाओं को तज कर,
श्रम करते रहना।
*
चाहे कितना दुष्कर पथ हो,
तुम चलते रहना।।
☆
© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)
संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268
ई मेल नं- [email protected], [email protected]
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈