श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 124 ☆

गीत ☆ ।।तुम खुद अपना कोई नया आसमान बनाओ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

[1]

तुम खुद अपना कोई नया आसमान बनाओ।

अपनी कोशिशों से हैंसलों की मीनार बनाओ।।

[2]

पसीने की स्याही से तुम लिखो अपने इरादों को।

हर कोशिश से पूरा करो तुम अपने दिए वादों को।।

तुम अपना किरदार अपना कोई  योगदान बनाओ।

तुम खुद अपना कोई नया   आसमान बनाओ ।।

[3]

जीवन में स्वार्थी नहीं किसी के साथी सारथी बनों।

तुम राष्ट्र समाज सेवा को एक पुत्र मां भारती बनो।।

हो सके तुमसे जीवन किसी का जरा आसान बनाओ।

तुम खुद अपना कोई नया आसमान बनाओ ।।

[4]

जीत मुफ्त नहीं परिश्रम की कीमत चुकानी पड़ती है।

निराशा में भी किरण     आशा की बनानी पड़ती है।।

हो लाख बंदिशें पर अपनी नाव अरमान की चलाओ।

तुम खुद अपना कोई नया आसमान बनाओ।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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