श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की  प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों/अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं  में आज प्रस्तुत है एक विचारणीय रचना मौन वाणी ने लिया। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को सादर नमन। आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  – आलेख  # 208 ☆ मौन वाणी ने लिया

बिना बोले सब कुछ कह देने की कला तो नयनों के पास है । किसी का चेहरा, किसी के कर्म, किसी की उम्मीद, किसी का विश्वास ये सब बोलते हैं। पर कभी- कभी ऐसी स्थिति आ जाती है कि व्यक्ति का व्यक्तित्व वो सब बता देता है जो हम दुनिया से छुपाना चाहते हैं। अक्सर रियलिटी शो में दो- तीन दिन तो व्यक्ति शराफत की चादर ओढ़े अपने आप को प्रस्तुत करते हैं किंतु जल्दी ही असलियत सामने आ जाती है। हमारा लोगों के साथ व्यवहार, बोल-चाल, कार्यशैली, सहयोग की भावना, क्रोध, घबराहट सब कुछ वो कह देता है जो हम अभी तक समाज से छुपा रहे होते हैं।

ये बात सही है कि सकारात्मक विचारों से धनी व्यक्ति हर परिस्थिति में अपना आपा नहीं खोता है। मेल- जोल की भावना के साथ ऐसी परिस्थितियों में नए रिश्ते बना लेता है जो शो से निकलने के बाद भी चलते हैं, क्योंकि उनका आधार ईमानदारी व नेकनीयती पर टिका हुआ होता है। दूसरी ओर तत्काल लाभ के आधार पर काम चलाऊ रिश्ते शो के दौरान ही बदलते रहते हैं। मर्यादित व्यवहार के साथ यदि ऐसे व्यक्तिगत प्रयोग होते रहें तो बहुत कुछ सीखने को मिलता है। सबके साथ सामंजस्य बिठाने की कला जिसको आ गयी वो सच्चा विजेता बनकर जनमानस में लोकप्रिय हो जाता है।

जब हम समाज कल्याण को ध्यान में रखकर अपने कार्यों को करते हैं तो एक लंबी शृंखला अपने आप बनने लगती है जो दूरगामी प्रभाव देती है। तो आइए सच्चे मन के साथ अपने अवलोकन की क्षमता को जाग्रत करें। मौन साधक बनकर इस प्रकृति से वो सब पा सकते हैं जिसकी कल्पना आपने कभी नहीं की होगी।

©  श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

माँ नर्मदे नगर, म.न. -12, फेज- 1, बिलहरी, जबलपुर ( म. प्र.) 482020

मो. 7024285788, [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments