आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है गीत – वाम से इतर…।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 199 ☆

☆ गीत – वाम से इतर☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

*

आओ! कुछ काम करें

वाम से इतर

*

लोक से जुड़े रहें

न मीत दूर हों

हाजमोला खा न भूख

लिखें सू़र हों

रेहड़ीवाले से करें

मोलभाव औ’

बारबालाओं पे लुटा

रुपै क्रूर क्यों?

मेहनत पैगाम करें

नाम से इतर

सार्थक भू धाम करें

वाम से इतर

*

खेतों में नहीं; जिम में

पसीना बहा रहे

पनहा न पिएँ कोक-

फैंटा; घर में ला रहे

चाट ठेले हँस रहे

रोती है अँगीठी

खेतों को राजमार्ग

निगलते ही जा रहे

जलजीरा पान करें

जाम से इतर

पनघटों का नाम करें

वाम से इतर

*

शहर में न लाज बिके

किसी गाँव की

क्रूज से रोटी न छिने

किसी नाव की

झोपड़ी उजाड़ दे न

सेठ की हवस

हो सके हत्या न नीम

तले छाँव की

सत्य का सम्मान करें

दाम से इतर

छोड़ खास, आम वरें

वाम से इतर

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१२-४-२०१७

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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