श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता रक्षाबंधन

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 190 ☆

☆ # “रक्षाबंधन” # ☆

धागो के इस बंधन पर

खुश होता संसार है

छुपा हुआ है इसमें

भाई बहन का प्यार है

सिर्फ नहीं है रेशम के धागे

यह स्नेह का इजहार है

जनम जनम का पावन रिश्ता

इस जीवन का आधार है

 

आज हर बहना

बुन रही है सपने

भैया से मिलने के अपने

दिनभर भूखी-प्यासी रहकर

राह उसकी लगी है तकने

 

भाई भी मिलने को है आतुर

बहना रहती है मीलों दूर

कैसे उड़कर उस तक पहुंचूं

राह मे सोच रहा होके मजबूर

 

दरवाजे की हर आहट पर

बहना का लगा ध्यान है

पल पल हो रही देरी में

उसके अटके हुए प्राण है

घंटी बजी तो वो दौड़ी

नहीं कुछ उसको भान है

भाई को देख लिपट गई वो

उसको जैसे मिल गया भगवान है

 

राखी बांधी मिठाई खिलाई

उसके चेहरे पर मुस्कान आई

भाई ने सर पर हाथ रखा

रक्षा करने की कसम खाई

 

दोनों के चेहरे पर

खुशी के भाव झलक रहे हैं

आंखों से स्नेह के सागर

चुपके चुपके छलक रहे हैं

 

दोनों को सारा जहां मिल गया

कुछ नहीं अब बाकी है

भाई बहन के मिलन की साक्षी

भाई के कलाई पर राखी है

 

यह पवित्र ऐसा बंधन है

महकता हुआ जैसे चन्दन है

भाई बहन के अमर प्रेम को

मेरा शत् शत् वंदन है /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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