श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “घूमा बहुत विदेश में…। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 141 – घूमा बहुत विदेश में… ☆

घूमा बहुत विदेश में, मिला मुझे यह ज्ञान।

मेरा भारतवर्ष यह, जग में बड़ा महान।।

*

विविध संस्कृतियाँ बसीं, हिल-मिल रहते लोग।

हैं स्वतंत्र सब जन सभी, पाते अमृत भोग।।

*

अमृत वर्ष मना रहे, हम भारत के लोग।

प्रगति राष्ट्र उत्थान में, मिल-जुल करते योग।।

*

विश्व जगत में बन गई, स्वाभिमान पहचान।

पाँचवीं अर्थ व्यवस्था, अब भारत की  शान।।

*

आजादी का पर्व यह, संस्कृति का ही पर्व।

सत्य सनातन परंपरा, हम सबको है गर्व।।

*

फहराया है देश में, आज तिरंगा देख।

देश भक्ति की भावना, खिची बड़ी है रेख।।

*

अठत्तरवाँ यह पर्व है, मना रहे हम आज।

देश प्रेम में  हम पगे, लोकतंत्र सरताज।।

*

शस्य श्यामला है धरा, मिली सनातन राह।

कभी तिरंगा झुके न, भारत की यह चाह।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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