श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ “जय प्रकाश के नवगीत ” के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “आँखों में मधुवन…” ।)
जय प्रकाश के नवगीत # 68 ☆ आँखों में मधुवन… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव ☆
मौसम गाए गीत नया
ऋतुगंध सुनाए सगुन
सावन विरहा मुझ पर टूटा
आए हैं दुर्दिन ।
*
यह पावस क्षण-क्षण आपस के
ख़्वाब दिखा जाये
बूँद न टूटे बूँद-बूँद के
अंग समा जाये
*
मेघ दूत लौटा दे मेरा
रंग भरा फागुन।
*
फागुन के आँगन में तुम सँग
रंग वसंत हुए
सागर बीच नहीं प्यासों के
अब तक अंत हुए
*
सावन में फागुन को देखूँ
फागुन में सावन।
*
मौसम एक अकेला राजा
ऋतुएँ सब रानी
पर लगता मन का वृंदावन
तुम बिन बेमानी
*
पलकों पर सपने तिरते हैं
आँखों में मधुवन।
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© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
सम्पर्क : आई.सी. 5, सैनिक सोसायटी शक्ति नगर, जबलपुर, (म.प्र.)
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