श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर एक विचारणीय कविता “आओ फिर से गोविंद…” ।)
☆ तन्मय साहित्य #245 ☆
☆ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष – आओ फिर से गोविंद…. ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
☆
आनन्दकन्द गोपाल, कृष्ण गिरधारी
आओ फिर से, गोविंद सुदर्शन धारी।
*
वृन्दावन में, बचपन बीता अति प्यारा
आये जो दैत्य कंस के, उन्हें सँहारा
असुरों की फौज बढ़ी, धरती पर भारी
आओ फिर से, गोविंद सुदर्शन धारी।…
*
कोमल कलियों को, कुचल रहे अन्यायी
बेटी-बहनों के साथ, करे पशुताई
पहले जैसे नहीं रहे, लोग संस्कारी
आओ फिर से, गोविद सुदर्शनधारी।…
*
कालीया नाग को, जैसे सीख सिखाई
जहरीले नाग, फुँफकार रहे हरजाई
फन कुचलो माधव, नटनागर बनवारी
आओ फिर से, गोविद सुदर्शनधारी।…
*
आतंकवाद ने, अपने पैर पसारे
जयचंद कई हैं छिपे, देश में सारे
खोजें उनको, दें दंड देश हितकारी
आओ फिर से, गोविद सुदर्शनधारी।…
*
मथुरा में जाकर, दुष्ट कंस को मारा
महाभारत में फिर, गीताज्ञान उचारा
भारत की यही पुकार, मुकुंद मुरारी
आओ फिर से, गोविद सुदर्शनधारी।…
☆ ☆ ☆ ☆ ☆
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈