डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 247 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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पीहर की सुधियाँ बढ़ी, आया जब त्यौहार ।
माँ बाबुल अब हैं नहीं, भीग रहा है प्यार।।
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भादों की है भावना, बरसे सावन प्यार।
कहना तुम सबसे यही, आए हैं त्योहार।।
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सावन ने मुझसे कहा, गाओ कजरी गीत।
मिलने साजन आ रहे, यही प्यार की रीत।।
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बदरी काली छा गई, खूब हुई बरसात।
बरस रहा है प्यार तो, समझो ऐसी बात।।
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कंठ पपीहे का हरा, रटे हमेशा प्यास।
स्वाति बूँद की चाह में, बस पानी की आस।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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