श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता “लक्ष्य कोई खास होना चाहिए…” ।)

☆ तन्मय साहित्य  #245 ☆

☆ गीतिका – लक्ष्य कोई खास होना चाहिए… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

उम्रगत एहसास होना चाहिए

जिंदगी में लक्ष्य कोई खास होना चाहिए।

*

हो अपच जब बुद्धि का या पेट का

रुग्ण तन-मन का सजल उपवास होना चाहिए।

*

आकलन करते रहें गुण दोष का

मलिनता मँजती रहे अभ्यास होना चाहिए।

*

विमल मन सद्कर्म से प्रतिबद्धता

प्रेम करुणा स्नेहसिक्त मिठास होना चाहिए।

*

है कहाँ किस ठौर पर यह तय करें

व्यर्थ शब्दों का न बुद्धि विलास होना चाहिए।

*

निर्विचार निःशंक होने के लिए

एक निश्छल निजी शुन्याकाश होना चाहिए।

*

अँधेरे भी तो मिलेंगे राह में

शौर्य साहस धैर्य आत्म प्रकाश होना चाहिए।

*

आखरी पल तक कलम चलती रहे

हर घड़ी-पल नव सृजन की प्यास होना चाहिए।

*

ध्वस्त हो आतंकियों के गढ़ सभी

फिर यहाँ आजाद भगत सुभाष होना चाहिए।

*

कामना है एक उस अव्यक्त से

हों सुखी सब, लोक में उल्लास होना चाहिए।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments