सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा

(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जीसुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की  साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर  के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । हम आपकी रचनाओं को अपने पाठकों से साझा करते हुए अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में  एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी  कविता “सीलापन ”। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 32☆

☆ सीलापन  

जब बारिश ज़्यादा हो जाती है,

न जाने क्यों

ये शामें बड़ी बेवफा सी लगने लगती हैं-

कुछ गुजरी कहानियां याद आती हैं,

कुछ छूटने का ग़म होता है,

कुछ बिछुड़ने का दर्द होता है,

कुछ घुटन सी लगती है,

कुछ वादे याद आते हैं,

और फिर बिजली के कड़कने के साथ

कुछ टूट सा जाता है!

 

बारिश का क्या है

अगले दिन ख़त्म हो जाती है,

पर उसका सीलापन

ज़हन को भिगोये रखता है!

 

© नीलम सक्सेना चंद्रा

आपकी सभी रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं एवं बिनाअनुमति  के किसी भी माध्यम में प्रकाशन वर्जित है।

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