श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ “जय प्रकाश के नवगीत ” के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “गाँव में…” ।)
जय प्रकाश के नवगीत # 72 ☆ गाँव में… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव ☆
छोड़ आया हूँ शहर को
पास वाले गाँव में।
हवा उत्सुकता भरी
घूँघट उठाए घूमती है
धार निश्छल
हँसी रखकर
तटों का मन चूमती है
पकड़ लाया हूँ लहर को
गीत गाती नाव में।
बना चौकीदार पीपल
करे स्वागत बजा ताली
भोर पगडंडी पहनकर
निकलता है सूर्य माली
बिठा आया हूँ सफर को
गुनगुनी सी छाँव में।
गली आँगन बाग बखरी
रँभा गैया टेरती है
गोधूलि चंदन तिलक दे
नीम बाँहें घेरती है
बाँध आया हूँ नहर को
नदी वाले ठाँव में।
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© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
सम्पर्क : आई.सी. 5, सैनिक सोसायटी शक्ति नगर, जबलपुर, (म.प्र.)
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