श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है  “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 147 – मनोज के दोहे ☆

मुक्त छंद के काव्य में, सुर- संगीत-अभाव।

दिल को छूता छंद है, स्वर-सरिता की नाव।।

*

सब को छप्पर चाहिए, जहाँ करें विश्राम।

श्रम की दौलत से सजे, दरवाजे पर नाम।।

*

मानवता कहती यही, होगी युग में भोर।

मुलाकात होती रहे, कुशल-क्षेम पर जोर।।

*

मौसम करवट ले रहा, धूप कहीं बरसात।

जहाँ न वर्षा थी कभी, बरसे अब दिन रात।।

*

संकट के बादल बढ़े, छिड़ा हुआ है युद्ध।

भारत का प्रस्ताव यह, अब तो पूजो बुद्ध।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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