श्रीमति विशाखा मुलमुले 

(श्रीमती  विशाखा मुलमुले जी  हिंदी साहित्य  की कविता, गीत एवं लघुकथा विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी रचनाएँ कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं/ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती  रहती हैं.  आपकी कविताओं का पंजाबी एवं मराठी में भी अनुवाद हो चुका है। आज प्रस्तुत है  एक अतिसुन्दर भावप्रवण  एवं सार्थक रचना  ‘माँ का होना ।  आप प्रत्येक रविवार को श्रीमती विशाखा मुलमुले जी की रचनाएँ  “साप्ताहिक स्तम्भ – विशाखा की नज़र से” में  पढ़  सकते हैं । )

ऐसी रचना सिर्फ और सिर्फ माँ ही रच सकती है और उसकी भावनाएं संतान ही पढ़ सकती हैं ।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 28 – विशाखा की नज़र से

☆ माँ का होना ☆

 

माँ का होना मतलब ,

चूल्हे का होना

आग का होना

उस पर रखी देगची

और,

पकते भोजन का सुवास होना

 

माँ का होना मतलब,

घर का हर कोना व्यवस्थित होना

बुरी नज़र का दूर होना

और,

नौनिहालों के सर पर

आशीष का होना

 

माँ का होना मतलब,

पेट का भरा होना

तन पर चादर का होना

और,

सोते समय एक छोटी सी

कहानी का होना

 

माँ का होना मतलब,

अगरबत्ती का होना

मंत्रों का गुंजित होना

और,

घर के मंदिर में फूलों का होना

 

माँ का होना मतलब

एक व्यक्ति का सजग होना

छोटी सी चोट पर

हल्दी का मरहम होना

और,

अपने सारे तपोबल का

अंश पर निसार होना

मां का होना ….

 

© विशाखा मुलमुले  

पुणे, महाराष्ट्र

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