श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की अगली कड़ी में उनकी एक समसामयिक कविता “कोरोना फोबिया”। आप प्रत्येक सोमवार उनके साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।)
☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 40 ☆
☆ कोरोना फोबिया ☆
मायूस सड़कें,
उदास लैम्पपोस्ट,
उबाऊ सन्नाटा,
कर्फ्यू का जोर,
कर्फ्यू की ऊब,
डरावना शोर
इक्कीस दिन बाद,
फिर सोच बदलेगी,
सड़कों की तरफ,
फिर भागदौड़ मचेगी,
लोग घरों से,
बाजार तरफ लौटेंगे,
डर के साये में,
सांकल मुक्त होगी
धरती की गोद में,
प्रार्थना की बात होगी
© जय प्रकाश पाण्डेय
सुंदर अभिव्यक्ति