हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ मनोज साहित्य # 148 – मनोज के दोहे – गांधी जी ☆ श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” ☆
श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे – गांधी जी ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 148 – मनोज के दोहे – गांधी जी ☆
☆
जीवन का चिर- सत्य यह, करना सबको कर्म।
जन्म लिया तो मृत्यु भी, समझें इसका मर्म।।
*
हैं अहिंसा सत्याग्रह, गांधी के प्रिय मंत्र।
डिगा सका न पथ उन्हें, ब्रिटिश हुकूमत तंत्र।।
*
सत्याग्रह की भूमिका, हिंसा कोसों दूर।
नहीं रक्त रंजित रहे, शांतिपूर्ण भरपूर।।
*
गांधी जी की सादगी, उतरी दिल के पार।
पहिन लँगोटी ने किया, जनमत को तैयार।।
*
समय-समय पर खोजता, हर युग अपनी राह।
सुखद शांति की कल्पना, हर मानव की चाह।।
☆
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002
मो 94258 62550
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈