श्री अरुण श्रीवास्तव
(श्री अरुण श्रीवास्तव जी भारतीय स्टेट बैंक से वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। बैंक की सेवाओं में अक्सर हमें सार्वजनिक एवं कार्यालयीन जीवन में कई लोगों से मिलना जुलना होता है। ऐसे में कोई संवेदनशील साहित्यकार ही उन चरित्रों को लेखनी से साकार कर सकता है। श्री अरुण श्रीवास्तव जी ने संभवतः अपने जीवन में ऐसे कई चरित्रों में से कुछ पात्र अपनी साहित्यिक रचनाओं में चुने होंगे। उन्होंने ऐसे ही कुछ पात्रों के इर्द गिर्द अपनी कथाओं का ताना बाना बुना है। प्रस्तुत है एक विचारणीय चलचित्र समीक्षा “श्रीकांत : नेटफ्लिक्स“ )
☆ समीक्षा # 119 – श्रीकांत : नेटफ्लिक्स ☆ श्री अरुण श्रीवास्तव ☆
बहुत सी प्रेरणादायक और मेहनत से बनाई गई फिल्मों में ये फिल्म भी याद रखी जायेगी जो जन्मजात अंधत्व रूपी विकलांगता को मात देने वाले जुझारू, दृढसंकल्पित शख्स की सच्ची कहानी है जिसे अपने स्वाभाविक अभिनय के विशेषज्ञ “राजकुमार राव” ने अपने श्रेष्ठतम अभिनय से जीवंत बना दिया है।
वास्तविक शख्सियत “श्रीकांत बोलेरा” को उकेरता, उनका उत्कृष्ट अभिनय हमेशा याद किया जायेगा। श्रीकांत की मजबूत शख्सियत को दर्शाता ये डॉयलॉग फिल्म की यूएसपी है।
“जब सामना डर और चुनौतियों से होता है, तो दो ही रास्ते होते हैं, पहला चुनौतियों का मुकाबला करना या फिर रास्ता बदलकर याने कटमारकर भाग जाना” पर नेत्रहीन व्यक्ति के पास कट मारकर भागने का विकल्प नहीं होता। यही दुर्बलता फिर उसे आत्मशक्ति से सुसज्जित करती है और जुझारू बनाती है। महाभारत में हमने धृतराष्ट्र की अयोग्यता और निर्बलता देखी है पर अगर संकल्प शक्ति देखनी हो तो “श्रीकांत” देखिये जो सच्ची शख्सियत पर बनी है और नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है।
© अरुण श्रीवास्तव
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