श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 135 ☆
☆ मुक्तक – ।।इसी धरती को ही स्वर्ग समान बनाना है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
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[1]
कुछ का नहीं सबका हालात बदलना है।
जीने का कुछ अंदाज ख्याल बदलना है।।
नईपीढ़ी को सौंपके जानी विरासत अच्छी।
दुनिया का यह बदहाल हाल बदलना है।।
[2]
हर समस्या का कुछ निदान पाना है।
जन जन जीवन को आसान बनाना है।।
बदलनी पूरे समाज की सूरत और सीरत।
हर दिल से हर दिल का तार जुड़ाना है।।
[3]
शत्रु के नापाक इरादों पर भी काबू पाना है।
उन्हें ध्वस्त करना खुद को मजबूत बनाना है।।
दुनिया को देना है विश्व गुरु भारत का पैगाम।
शांति का संदेश सम्पूर्ण संसार में फैलाना है।।
[4]
वसुधैव कुटुंबकम् सा यह संसार बनाना है।
मानवता का सबको ही प्रण दिलाना है।।
नर नारायण सेवा का भाव है सब में जगाना।
इस धरा को ही स्वर्ग से भी सुंदर बनाना है।।
[5]
जीवन शैली खान पान का रखना है ध्यान।
आचरण वाणी को भी करना है मधु समान।।
प्रगति प्रकृति मध्य रखना सामजस्य भाव।
विविधता में एकता बनाना एक अभियान।।
[6]
माला में हर गिर गया मोती अब पिरोना है।
अब हर टूटा छूटा रिश्ता पाना खोना है।।
आंख में आंसू आए हर किसीके दर्दों गम में।
हर कंटीली राह पर फूलों को अब बिछौना है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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