श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “सजल – बदल गया है आज जमाना”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 149 – पुणे शहर की यह धरा… ☆
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पुणे शहर की यह धरा, मन में भरे उमंग।
किला सिंहगढ़ का यहाँ, छाई-शिवा तरंग।।
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हरियाली चहुँ ओर है, ऊँचे शिखर पहाड़।
मौसम की अठखेलियाँ, मातृ-भूमि से लाड़।।
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भीमाशंकर है यहाँ, अष्ट विनायक सिद्ध।
दगड़ू सेठ गणेश जी, मंदिर बहुत प्रसिद्ध।।
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महाबलेश्वर की छटा, फिल्म जगत की जान।
शिव मंदिर प्राचीन यह, हरित प्रकृति की शान।।
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छत्रपति महाराज की, धरा रही यह खास।
जन्म भूमि शिवनेरि की, नगरी आई रास।।
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मराठा साम्राज्य का, केन्द्र बिंदु यह खास।
मुगलों के हर आक्रमण, प्रतिउत्तर आभास।।
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छल-छद्मों को मार कर, जीते थे हर युद्ध।
गले लगाया प्रजा को, बनकर गौतम बुद्ध।।
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मुगलों का हो आक्रमण, अंग्रेजों से युद्ध।
पुणे-मराठा अग्रणी, यश-अर्जन सुप्रसिद्ध।।
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पेशवाइ साम्राज्य का, प्रमुख रहा यह केंद्र।
स्वाभिमान स्वातंत्र्य की, ज्योति जली रमणेंद्र।।
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विदेशों से कम नहीं, पूना का परिवेश।
ऊँची बनीं इमारतें, देतीं शुभ संदेश ।।
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शिक्षा का यह केंद्रबिंदु, रोजगार भरपूर।
शांत सौम्य वातावरण, दर्शनीय हैं टूर।।
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आई टी का हब बना, विश्व में चर्चित नाम।
देश विदेशी कंपनियाँ, करें रात-दिन काम।।
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बैंगलोर मुंबई नगर, प्रसिद्ध हैदराबाद।
पुणे शहर की शान को, सब देते हैं दाद।।
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भारत का छठवाँ शहर, बना हुआ अनमोल।
शहर बड़ा यह काम का,सभ्य सुसंस्कृति बोल।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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