श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ “जय प्रकाश के नवगीत ” के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय बालगीत “गाँधी जी ने…” ।)
जय प्रकाश के नवगीत # 76 ☆ बालगीत – गाँधी जी ने… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव ☆
पीछे मुड़कर नहीं देखना
हरदम आगे ही बढ़ना है
यही सिखाया गाँधी जी ने।
नहीं बोलना बुरा
और न ही सुनना है
नहीं देखना बुरा
यही मंतर गुनना है
यही पढ़ाया गाँधी जी ने।
सत्य अहिंसा का पथ
सदा हमें चुनना है
अपने कर्तव्यों से पीछे
कभी नहीं हटना है
यही रटाया गाँधी जी ने।
बुनियादी शिक्षा के चलते
खुद निर्भर बनना है
संस्कृति और सभ्यता वाले
पाठ हमें पढ़ना है
यही बताया गाँधी जी ने।
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© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈