डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी जीवन से जुड़ी घटनाओं और स्मृतियों को इतनी सहजता से लिख देते हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि हम उनका साहित्य पढ़ रहे हैं। अपितु यह लगता है कि सब कुछ चलचित्र की भांति देख सुन रहे हैं। आप प्रत्येक बुधवार को डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’जी की रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज के साप्ताहिक स्तम्भ “तन्मय साहित्य ” में प्रस्तुत है अग्रज डॉ सुरेश कुशवाहा जी के वर्तमान संकट के समय के 7 दोहे । आज समाज को ऐसे ही सकारात्मक साहित्य की आवश्यकता है। । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – तन्मय साहित्य # 41 ☆
☆ वर्तमान संकट के समय के 7 दोहे ☆
कोरोना के कोप से, भयाक्रांत संसार।
कैद घरों में हैं सभी, बन्द पड़े बाजार।।
कौन जाति का वायरस, किस जाति पर वार।
सोचें समझें अब सभी, रहे परस्पर प्यार।।
देवदूत बन जो जुटे, सेवा में अविराम।
नर्स-डॉक्टरों के प्रति, सह्रदय नम्र प्रणाम।।
जगह जगह जो कर रहे, जन हितकारी काम।
रहें निरोगी वे सभी, दिल से उन्हें सलाम।।
जहाँ जहाँ जो हैं सभी, है सबका दायित्व।
पूर्ण समर्पण भाव से, करते रहें कृतित्व।।
फुरसत में चिंतन करें, करें नहीं अफसोस।
उतरें अपने में स्वयं, खोजें गुण औ’दोष।।
जग मंगल की कामना, रहे प्रार्थना भाव।
दूर हटेगा शीघ्र ये, जीवन का ठहराव।।
© डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश
मो. 989326601