डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे ।)
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रंग-बिरंगे फूल हैं, मन में हर्ष अपार।
महका-महका दृश्य यों, ठण्डी चले बयार।।
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फूल पीठ पर हैं लदे, दो चक्कों पर भार।
मन में ऐसी कामना, बेचूँ फूल हज़ार।।
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मन के मधुवन में पुहुप, सबके मन गुलजार।
निशिदिन रहे पुकारता, फिर-फिर सबके द्वार।।
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फूलों से डोली सजे, महके वन्दनवार।
फूलों के ढिग लीजिए, सौरभ का उपहार।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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