श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 137 ☆

☆ मुक्तक – ।।कांटों से डर नहीं तो जीवन फूल गुलाब मिलता है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

[1]

जिंदगी पल –  पल यूं ही ढलती जा रही है।

ऐसे ही आज कल में  चलती  जा रही है।।

न कोई उत्साह उमंग जीने की आदमी को।

जैसे कि रेत बस मुठ्ठी से फिसलती जा रही है।।

[2]

बीज बनो ऐसे मिट्टी में दब फिर उग आओ।

फल से लदकर पेड़ की तरह ही झुक जाओ।।

कोशिश हो हर क्षण बिखर कर फिर संवरने की।

चीनी जैसा घुल जाओ जीवन में ऐसा रुख लाओ।।

[3]

कांटों से डरो नहीं तो जीवन फूल गुलाब मिलता है।

होली के रंगों में भीग के फिर गुलाल मिलता है।।

मन स्वतंत्र हो आपका इसमें न कोई षडयंत्र हो।

संघर्ष में तपकर हमें सोनेजैसा कमाल मिलता है।।

[4]

किरदार बनो खुशबू खुद दूर सफर तय करती है।

प्रेम समा जाए तो खुद ही नफरत की लय मरती है।।

बस चार दिनों को ही मिलें हैं यह श्वास और प्राण।

जिंदादिली हो तो  जिंदगी भय से नहीं डरती   है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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