श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत हैं  “मनोज के दोहे ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 151 – मनोज के दोहे ☆

प्रत्याशा हर राष्ट्र से, हों मानव-हित काम।

हिंसा को त्यागें सभी, बढ़े देश का नाम।।

 *

नव प्रत्यूषा की किरण, बिखरी भारत देश।

जागृति का स्वर गूँजता, बदल रहा परिवेश।।

 *

करूँ प्रथमेश वंदना,गौरी तनय गणेश।

मंगलमय की कामना, कारज-सिद्धि प्रवेश।।

 *

राम प्रभु प्राकट्य हुए, पुण्य धरा साकेत।

रघुवंशी दशरथ-तनय, राम राज्य के हेत।।

विकसित भारत बढ़ रहा, सबका है उत्कर्ष।

दिल आनंदित हो उठा, होता भव्य प्रहर्ष।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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