श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत हैं “मनोज के दोहे ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 151 – मनोज के दोहे ☆
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प्रत्याशा हर राष्ट्र से, हों मानव-हित काम।
हिंसा को त्यागें सभी, बढ़े देश का नाम।।
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नव प्रत्यूषा की किरण, बिखरी भारत देश।
जागृति का स्वर गूँजता, बदल रहा परिवेश।।
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करूँ प्रथमेश वंदना,गौरी तनय गणेश।
मंगलमय की कामना, कारज-सिद्धि प्रवेश।।
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राम प्रभु प्राकट्य हुए, पुण्य धरा साकेत।
रघुवंशी दशरथ-तनय, राम राज्य के हेत।।
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विकसित भारत बढ़ रहा, सबका है उत्कर्ष।
दिल आनंदित हो उठा, होता भव्य प्रहर्ष।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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