डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे ।)
☆
फूलों पर मंडरा रही, तितली रानी खूब।
बैठी हो चुपचाप क्यों, नहीं लगी क्या ऊब।।
*
फूलों का रस चूसती, खुश हो जाते फूल।
साथ फूल का मिल रहा, उसको यही कबूल।।
*
उड़ती तितली देखती, पकडूँ उसको हाथ।
मन तो उसका कर रहा, खेलूँ उसके साथ।।
*
सौरभ की बगिया में, लगी झूमती खूब।
हरियाली की हरितिमा, देख रही है डूब।।
*
तितली देखें राह में, गुड़िया रानी पास।
मंद-मंद मुस्कान है, बस छूने की आस।।
☆
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈