सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम गीतआलोकित मनमंदिर मेरा

? रचना संसार # 29 – गीत – आलोकित मनमंदिर मेरा…  ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ? ?

☆ 

रोम -रोम रोमांचित होता,

बहती प्रेम सुधा रस धारा।

जब भी कविता लिखने बैठूँ ,

लिख जाता है नाम तुम्हारा।।

 *

अन्तर्मन में बसते प्रियतम ,

हिय में है प्रतिबिंब तुम्हारा।

गंगा -यमुनी संगम अपना ,

जन्म -जन्म का प्रेम हमारा।।

रूप मनोहर कामदेव सा ,

तुम्हें निरखता मन मतवारा।

रोम -रोम रोमांचित होता ,

बहती प्रेम सुधा रस धारा।।

 *

सृजन करूँ जब – जब मैं साजन,

भावों में आती छवि प्यारी।

गीत ग़ज़ल रस अलंकार हो,

सप्त सुरों की सरगम सारी।।

पढ़कर मन नैनों की भाषा,

लिखता मन शृंगार दुलारा।

रोम -रोम रोमांचित होता,

बहती प्रेम सुधा रस धारा।।

 *

आलोकित मनमंदिर मेरा,

अंग – अंग में प्रीत समाई।

सन्दल सी सुरभित काया है,

पड़ी सजन की जो परछाई।।

रात अमावस दीप जले हैं,

पूनम सा फैला उजियारा।

रोम -रोम रोमांचित होता,

बहती प्रेम सुधा रस धारा।।

© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)

संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268

ई मेल नं- [email protected], [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈

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