श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 109 ☆ देश-परदेश – क से कार ☆ श्री राकेश कुमार ☆
हिंदी भाषा जितनी सरल है, हमने अंग्रेजी का चोला पहनकर उसके साथ खूब खिलवाड़ करते हैं। हमने तो बचपन में क से कबूतर ही पढ़ा और जाना था। घर के आसपास तो क्या दूर तक कोई कार नहीं दिखती थी। कबूतर खूब देखे हैं। वैसे कबूतर भी उड़ तक फुर से आंखों से ओझल हो जाता है, आजकल की कार भी तो हवा में ही उड़ती हैं।
सत्तर के दशक में एक चर्चा राजनीति गलियारों में भी कार को लेकर खूब चली थी। “बेटा कार बनाता! मां सरकार चलाती!! उसका जवाब भी कुछ ऐसा ही था” बेटा कार बनाता! मां बेकार बनाती!!
हमारे अनुसार तो आज का दिन “कार दिवस” घोषित कर दिया जाना चाहिए। प्रातः काल ही समाचार पत्र में एक खबर थी, कि गूगल के कहने पर एक अर्ध निर्मित पुल से कार नीचे नदी में गिर गई, तीन युवा की मृत्यु भी हो गई हैं।
कुछ दिन पूर्व गुजरात में एक व्यक्ति ने मात्र दस वर्ष पुरानी अच्छी हालत वाली कार को अपने खेत की मिट्टी में दफना कर सैंकड़ों लोगों को भोज भी खिलाया। हमे तो आज तक ऐसे किसी भोज का निमंत्रण नहीं मिला, जहां शगुन का लिफाफा ना देना पड़ा हो।
एक अमरीकी न्यूज चैनल के वीडियो में हमारे देश की एक खबर के खूब चटकारे लिए हैं। नई बी एम डब्लू को बिगड़ैल औलाद ने नदी में डूबो दिया, उसको पिता से जगुआर ब्रांड की कार चाहिए थी। इस वीडियो को हमारे युवा, अपने अपने पिता को भेजकर अपनी बात मनवाने के हथियार के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
आज सुबह से सोशल मीडिया पर कार ही छाई हुई हैं। एक साथी ने फोन पर बताया उनके घर के बाहर कोई अनजान अपनी कार खड़ी कर पांच दिन बाद उठाने के लिए आया था। जब मित्र ने इस बाबत उससे प्रश्न किया, तो विनम्रता पूर्वक कहने लगा आप ने घर के बाहर सी सी टीवी लगा रखें है। इसलिए कार की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, आपके घर के बाहर कार पार्क कर दी थी।
मित्र को हमने भी ज्ञान दे दिया, बहुत बड़े वाले गमले रख कर उसको लोहे की पत्ती से कसवा देवें, कोई कार आपके घर के बाहर नहीं लगाएगा। मित्र भी हाज़िर जवाब था, बोला इतना गमले आदि पर खर्च करने से तो बाहर लगे सी सी टीवी के कैमरे ही उतरवा कर कुछ पैसे बना लूंगा।
© श्री राकेश कुमार
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