Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the limit-login-attempts-reloaded domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the square domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/wp-includes/functions.php on line 6114
हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ व्यंग्य # 228 – “बैठे ठाले – एक ठो व्यंग्य – ‘ऐसा भी होता है’” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆ - साहित्य एवं कला विमर्श हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ व्यंग्य # 228 – “बैठे ठाले – एक ठो व्यंग्य – ‘ऐसा भी होता है’” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆ - साहित्य एवं कला विमर्श

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ व्यंग्य # 228 – “बैठे ठाले – एक ठो व्यंग्य – ‘ऐसा भी होता है’” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है पितृपक्ष में एक विचारणीय व्यंग्य  – “बैठे ठाले – ‘एक ठो व्यंग्य – ‘ऐसा भी होता है”।)

☆ व्यंग्य जैसा # 228 – “बैठे ठाले – ‘एक ठो व्यंग्य – ‘ऐसा भी होता है☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय

एक ही शहर के तीन विधायक बैठे हैं एमएल रेस्ट हाऊस के एक बंद कमरे में। चखने के साथ कुछ पी रहे हैं, ठेकेदार दे गया है ऊंची क्वालिटी की। पीते पीते एक नेता बोला – ये अपने शहर से ये जो नया लड़का धोखे से इस बार जीत क्या गया है, बहुत नाटक कर रहा है, लोग जीतने के बाद अपनी कार के सामने बड़े से बोर्ड में लाल रंग से ‘विधायक’ लिखवाते हैं इस विधायक ने अपनी कार में ‘सेवक’ लिखा कर रखा है, अपना इम्प्रेशन जमाने के लिए हम सबकी छबि खराब कर रहा है, ठीक है कि चुनाव के समय हम सब लोग भी वोट की खातिर हाथ जोड़कर जनता के सामने कभी ‘सेवक’ कभी ‘चौकीदार’ कहते फिरते हैं पर जीतने के बाद तो हम उस क्षेत्र के शेर कहलाते हैं और रोज नये नये शिकार की तलाश में रहते हैं, रही विकास की बात तो विकास तो नेचरल प्रोसेस है होता ही रहता है, उसकी क्या बात करना, विकास के लिए जो पैसा आता है उसके बारे में सोचना पड़ता है।

दूसरे विधायक ने तैश में आकर पूरी ग्लास एक ही बार में गटक ली और बोला –  तुम बोलो तो…उसको अकेले में बुलाकर अच्छी दम दे देते हैं, जीतने के बाद ज्यादा जनसेवा का भूत सवार है उसको, हम लोग पुराने लोग हैं हम लोग जनता को अच्छे से समझते हैं जनता की कितनी भी सेवा करो वो कभी खुश नहीं होती। अरे धोखे से जीत गए हो तो चुपचाप पांच साल ऐश कर लो, कुछ खा पी लो, कुछ आगे बढ़ाकर अगले चुनाव की टिकट का जुगाड़ कर लो। मुझे देखो मैं चार साल पहले उस पार्टी से इस पार्टी में आया, मालामाल हो गया, बीस पच्चीस तरह के गंभीर केस चल रहे थे, यहां की वाशिंग मशीन में सब साफ स्वच्छ हो गए, वो पार्टी छोड़कर आया था तो यहां आकर मंत्री बनने का शौक भी पूरा हो गया, इतना कमा लिया है कि सात आठ पीढ़ी बैठे बैठे ऐश करती रहेगी, जनता से हाथ जोड़कर मुस्कुरा कर मिलता हूं, चुनाव के समय कपड़ा -लत्ता सोमरस और बहुत कुछ जनता को सप्रेम भेंट कर देता हूं, जनता जनार्दन भी खुश, अपन भी गिल्ल…. और क्या चाहिए। ये नये लड़के कुछ समझते नहीं हैं, राजनीति कुत्ती चीज है, ऊपर वाला नेता कब आपको उठाकर पटक दे कोई भरोसा नहीं रहता, कितनी भी चमचागिरी करो ऐन वक्त पर ये सीढ़ी काटकर नीचे गिरा देते हैं। अभी छोकरा नया नया है  हम लोग सात आठ बार के विधायक हैं हम लोग अनुभवी लोग हैं खूब राजनीति जानते हैं, लगता है एकाद दिन अकेले में कान उमेठ कर छोकरे को राजनीति और कूटनीति समझाना पड़ेगा।

तीसरा मूंछें ऐंठते हुए बोला – यंग छोकरा है  ज्यादा होशियार बनने की कोशिश कर रहा है अपन वरिष्ठों की इज्जत नहीं कर रहा है सबकी इच्छा हो तो विरोधी पार्टी की यंग नेत्री (जो अपनी खासमखास है) को भिजवा देते हैं एकाद दिन… पीछे से कोई वीडियो बना ही लेगा, फिर देखना मजा आ जायेगा। पहला वाला बोला – होश में आओ अपनी ही पार्टी से जीता है, गठबंधन सरकार में एक एक विधायक का बहुत महत्व होता है। अकेले में समझा देना नहीं तो नाराज़ होकर दूसरी पार्टी ज्वाइन कर लेगा, सुना है आजकल एक विधायक की कीमत पचीस से चालीस करोड़ की चल रही है। नया खून है, जल्दी गरम हो जाता है।

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈