डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे ।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 258 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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लिख मैंने तुमको दिया, अपने दिल का राज।
देख रहे हम बाट यों, उत्तर मिला न आज।।
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पाती तेरे नाम की , आई पढ़कर लाज।
मिलने को बैचेन हैं, आओ अब सरताज।।
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घर में सबसे कह दिया, अपने दिल का हाल।
हमें प्रिया से प्यार है, ब्याह करें इस साल ।।
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वो दिन भी अब आ रहा, नहीं मानना हार।।
सबको दूँगा एक दिन, दुल्हन का उपहार।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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