श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता महापरिनिर्वाण के अवसर पर…”।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 200 ☆

☆ # “महापरिनिर्वाण के अवसर पर…” # ☆

(6 दिसंबर महापरिनिर्वाण दिवस पर विशेष)

तुम्हारे महापरिनिर्वाण पर

आंख भर भर आईं हैं

हर शख्स रूदन कर रहा

आँखें डबडबाई हैं

 

जीवन पथ पर चलने की

तुमने राह दिखाई है

संघर्षों में लड़ने की

तुमने चाह जगाई है

सदियों से अंधेरे में थे

तुमने ज्योत जलाई है

हर शोषित, वंचित के मन में

तुमने आस बंधाई है

शिक्षा हथियार है

यह बात तुमने सिखाई है

छीन लो हक अपने

यह बात समझाई है

तुम ही हो भगवान हमारे

यही एकमात्र सच्चाई है

आज तुम्हारे महापरिनिर्वाण पर

आँखें भर भर आईं हैं

 

आजकल तूफानों में

बहुत जोर है

आंधियों और हवाओं में

बहुत शोर है

चारों तरफ छाई हुई

घटाएं घनघोर हैं

चमकती बिजलीयां

चहुं और है

बदलने तुम्हारे संविधान को

दुष्ट ताकतें

लगा रही जोर जोर हैं

जो भी टकराया है हमसे

उसने मुंह की खाई है

आज तुम्हारे महापरिनिर्वाण पर

आँखें भर भर आईं हैं

 

अब यह सैलाब बहा देगा

ऊंची ऊंची चट्टानों को

कोई भी ना रोक सकेगा

दृढ़ संकल्प दीवानों को

सर पर कफ़न बांधकर

मरने निकले परवानों को

देख कुर्बानी के इस जज्बे को

दुनिया भी थर्राई है

आज तुम्हारे महापरिनिर्वाण पर

आँखें भर भर आईं हैं

 

तुम्हारे अनुयायी अब

जागृत और सचेत हैं  

माना हमारे बीच में

कुछ थोड़े से मतभेद हैं

विचारों की जंग है

अरमानों के खेत हैं  

टीले हैं जज्बातों के

ज़मीं हुई रेत है

जिस्म है अलग अलग पर

सबका लक्ष्य समवेत है

यही समाज के उन्नति और

बदलाव के संकेत हैं

हमने संकल्पों के दीपक में

उम्मीद की बातीं जलाई है

आज तुम्हारे महापरिनिर्वाण पर

आँखें भर भर आईं हैं /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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