श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम बाल गीत चलो गुनगुनाएँ हम” ।)

☆ तन्मय साहित्य  #258 ☆

चलो गुनगुनाएँ हम☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

एक गीत गाएँ हम

जीवन की बगिया में

चलो खिलखिलाएँ हम।

*

भिन्न-भिन्न जाति पंथ

है अनेक धर्म ग्रंथ

सबका है एक मंत्र

प्रेम प्यार पाएँ हम।

एक गीत गाएँ हम।।

*

मातृभूमि का वंदन

माटी इसकी चंदन

इसका सम्मान करें

शीश पर लगाएँ हम।

एक गीत गाएँ हम।।

*

तुलसी मीरा कबीर

गाई दीनन की पीर

संतो के पावन पद

सबको सुनाएँ हम।

एक गीत गाएँ हम।।

*

हम सब मिल खूब पढ़ें

आपस में नहीं लड़ें

भेदभाव भूल,

ऊंच-नीच को मिटाएँ हम

एक गीत गाएँ हम

*

सीमा पर है जवान

खेतों में है किसान

योगदान को इनके

नहीं भूल पाएँ हम।

एक गीत गाएँ हम।।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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