सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम गीत – भावों की बहती सुरसरिता…।
रचना संसार # 32 – गीत – प्रेम अमिय का प्याला है… ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
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अन्तर्मन की प्यास बुझाए
प्रेम अमिय का प्याला है।
वीणा की झंकार यही तो
सात सुरों की हाला है।।
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कानों में मिश्री सी घोले,
पिया प्रेम की बाँसुरिया।
धुन सुनकर मैं इत उत डोलूँ,
जैसे कोई बावरिया।।
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मधुरिम गीत प्रणय के गाती,
हिय में जलती ज्वाला है ।
अन्तर्मन की प्यास बुझाए,
प्रेम अमिय का प्याला है।।
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त्याग प्रेम की मंजुल मूरत,
सुरभि दसों दिशि में फैली।
जीवन में नित करे उजाला,
सपन अलौकिक अठखेली।।
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शुचि सुवास से साँसें महके,
नाचे मन मतवाला है।
अन्तर्मन की प्यास बुझाए,
प्रेम अमिय का प्याला है।।
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कहे भावना भाव घनेरे,
प्रीत निराली सी लागे।
पिया श्याम घन वर्षा करते,
उर हरियाली सी लागे।।
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वसुधा अम्बर नेह निबंधन,
तुहिन कणों की माला है।
अन्तर्मन की प्यास बुझाए,
प्रेम अमिय का प्याला है।।
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© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)
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