श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “सर्दी का मौसम…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 201 ☆
☆ # “सर्दी का मौसम…” # ☆
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यह सर्दी का मौसम
ये चुभती हवाएँ
मेरे दिल की धड़कन
तुमको बुलाएँ
यह बर्फ की सफेद चादर
तुम ओढ़कर पड़ी हो
ये हिमखंडो के टुकड़े
जैसे तुम खुद से लड़ी हो
अब तुम इनसे ना लड़ना
कहीं यह पिघल ना जाएँ
मेरे दिल की धड़कन
तुमको बुलाएँ
ये शाम के धुंधलके
ये दिलकश नजारे
ये बर्फ के उड़ते बादल
अब तुमको पुकारे
आ जाओ , कहीं ये
मौसम बदल ना जाए
मेरे दिल की धड़कन
तुमको बुलाएँ
यह कड़कड़ाती ठंड
ये खोजती निगाहें
ठिठुरते हुए जिस्म को
बांहों में लेना चाहें
तुम्हारे लरजते हुए होंठ देख
कहीं दिल मचल ना जाएँ
मेरे दिल की धड़कन
तुमको बुलाएँ
कितनी फब रही है तुम पर
यह बूटेदार शाल
तुम्हारा यौवन देख
बुरा है दिल का हाल
दिल की यह हसरत
कहीं यूंही निकल ना जाएँ
यह सर्दी का मौसम
ये चुभती निगाहें
मेरे दिल की धड़कन
तुमको बुलाएँ /
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© श्याम खापर्डे
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