श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपके  “मनोज के दोहे”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 156 – मनोज के दोहे

चिंतन करना है हमें, सभी काम हों नेक।

कर्म करें जो भी सदा, जाग्रत रखें विवेक।।

 *

शुभ कार्यों में शीघ्रता,करें न देर-सबेर।

यही बात सबने कही,जीवन का वह शेर।।

 *

समय फिसलता रेत सा,पकड़ न पाते हाथ।

गिनती की साँसें मिलीं, नेक-नियत हो साथ।।

 *

चरण वंदना राम की, हनुमत जैसे वीर।

दोनों की अनुपम कृपा, करें धीर गंभीर।।

 *

चाह अगर दिल में रहे, मिल ही जाती राह

आशा कभी न छोड़ना, निश्चय होगी वाह।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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