डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे ।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 260 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
☆
थाम लिया है आपने, चलते रहना संग।
थामें रहना राह में, हूँ मैं आधा अंग।।
*
साथी तुमको मानना, स्वामी मेरे आज।
दासी के इस रूप में, करती सारे काज।।
*
मिलते थे हम आपसे, वही पुरानी याद।
पूरी की है आपने, सपनों की फरियाद।।
*
तू मोहन का रूप है, मैं राधिके सुजान।
मिलती है प्रभु आपसे , राधा को पहचान।।
*
जीवन जीने की कला, तुझ से सीखी मीत।
तेरा ही गुण गा रहे, लिखते तुझपर गीत।।
☆
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈