हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 206 ☆ कविता – निभानी सब को अपनी जिम्मेदारी चाहिये… ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित – “कविता – निभानी सब को अपनी जिम्मेदारी चाहिये…” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे.।)
☆ काव्य धारा # 206 ☆ कविता – निभानी सब को अपनी जिम्मेदारी चाहिये… ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
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स्वार्थ की अब राजनीति है, स्वार्थ मय व्यवहार है
सत्ता हथियाने को बढ़ा है हर जगह तकरार है।
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समस्यायें हल न होती आये दिन नित बढ रहीं
राजनीति में लेन-देन का अब गरम बाजार है।।
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समझ हुई कम, दिख रहा है, बुद्धि भी बीमार है
हौसले लेकिन बड़े हैं, पाने को अधिकार है।
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दल के प्रति निष्ठा घटी है दल में भी गुट बन गये-
लड़खड़ाती रहती इससे आये दिन सरकार है।
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भूल गये उनको जिन्होंने देश के हित जान दी
कल की पीढी के हित लगाई बाजी अपने प्राण की।
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हँसते फाँसी पे फूले त्याग सब कुछ देशहित
गजब की निष्ठा थी जिनको देश के सम्मान की
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दूरदर्शी अव रहे, कम दृष्टि ओछी हो गई
स्वार्थ में डूबी समझ ज्यों अचानक खो गई
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बढ़ती जाती द्वेष-दुर्भावना की मन में भावना
जाने क्यों सद्भावना की ऐसी दुर्गति हो गई
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राजनीति को सूझ-बूझ समझदारी चाहिये
और सब जन सेवकों को खबरदारी चाहिये ।
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देश ने तो सब को, सब कुछ चाहिये जो सब दिया
निभाना अब सब को अपनी जिम्मेदारी चाहिये
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© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी भोपाल ४६२०२३
मो. 9425484452
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈