हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 140 ☆ गीत – ।।एक ही मिला जीवन कि कहानी बन कर जाओ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 140 ☆

☆ गीत ।।एक ही मिला जीवन कि कहानी बन कर जाओ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

।। विधा।। गीत ।।

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एक ही मिला जीवन कि कहानी बन कर जाओ।

हर किसी के दिल में  निशानी  बन कर जाओ।।

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भुला न पाए कोई  वो  किस्सा  बन कर जाना।

करना कुछ भीड़ का मत हिस्सा बन कर जाना।।

जीवन अनमोल कि सूरत पहचानी बन कर जाओ।

एक ही मिला जीवन कि कहानी बन कर जाओ।।

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ये जीवन तभी सफल कि कुछ खास बनाकर जाना।

फिर न मिलेगी जिंदगी कि इतिहास बनाकर जाना।।

मत रुकें कभी कदम कि वो  रवानी बनकर जाओ।

एक ही मिला जीवन कि कहानी बन कर जाओ।।

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यह जिंदगी जैसी  भी बस  एक बार मिलती है।

कोशिश वालों को  सफलता बार-बार मिलती है।।

हर किसीके दिल की तुम दीवानगी बनकर जाओ।

एक ही मिला जीवन कि कहानी बन कर जाओ।।

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जिंदगी पल – पल हर  क्षण बस ढलती जा रही है।

जैसे कि बस रेत  मुठ्ठी  से फिसलती जा रही है।।

सहयोग साथ रखना कि मत अभिमानी बनकर जाओ।

एक ही मिला जीवन कि कहानी बनकर जाओ।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈