आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी विचारणीय कविता एक-दूजे का ध्यान रखें)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 215 ☆

☆ कविता – एक-दूजे का ध्यान रखें ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

हर इंसां हो एक समान.

अलग नहीं हों नियम-विधान..

कहीं बसें हो रोक नहीं-

खुश हों तब अल्लाह-भगवान..

*

जिया वही जो बढ़ता है.

सच की सीढ़ी चढ़ता है..

जान अतीत समझता है-

राहें-मंजिल गढ़ता है..

*

मिले हाथ से हाथ रहें.

उठे सभी के माथ रहें..

कोई न स्वामी-सेवक हो-

नाथ न कोई अनाथ रहे..

*

सबका मालिक एक वही.

यह सच भूलें कभी नहीं..

बँटवारे हैं सभी गलत-

जिए योग्यता बढ़े यहीं..

*

हम कंकर हैं शंकर हों.

कभी न हम प्रलयंकर हों.

नाकाबिल-निबलों को हम

नाहक ना अभ्यंकर हों..

*

जनता अब इन्साफ करे.

नेता को ना माफ़ करे..

पकड़ सिखाये सबक सही-

राजनीति को राख करे..

*

सबको मिलकर रहना है.

सुख-दुख संग-संग सहना है..

मजहब यही बताता है-

यही धर्म का कहना है..

*

एक-दूजे का ध्यान रखें.

स्वाद प्रेम का ‘सलिल’ चखें.

दूध और पानी जैसे-

दुनिया को हम एक दिखें..

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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