श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की  प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों/अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं  में आज प्रस्तुत है एक विचारणीय रचना संकल्प का प्रकल्प। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को सादर नमन। आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  – आलेख  # 226 ☆ संकल्प का प्रकल्प

जीवन में जब भी कोई विकल्प न बचे तो कार्य सहजता से होने लगते हैं । तेरा- मेरा को छोड़ व्यक्ति आर -पार की लड़ाई करते हुए जब को विजेता सिद्ध करता है । सच्चा मोटिवेशन अभाव का होना है, इस समय लोग लक्ष्य को केंद्र बिंदु बना पूरी प्रोसेस को सावधानी से जीते हैं और जल्दी ही सर्वोच्च शिखर पर विराजित हो जाते हैं । अपने स्थान को सदैव वही लोग    सुरक्षित रख पाते हैं जो सकारात्मक रहते हुए जीवन मूल्यों का पालन करते हैं ।

आइए नए वर्ष 2025 विचार करें कि आप इनमें से किस पंक्तियों से साम्यता रखते हैं …

लोभ मोह दूर रहे

सीताराम मन कहे

धन हो संतोष वाला

घर को बसाइए।

*

नेक धर्म लोग साथ

दान देने वाले हाथ

अभिमान रहे नहीं

बात को बताइए।।

*

थोड़े में भी खुश होना

दुःख में कभी न रोना

बड़ों के आशीष संग

प्रीत को बढ़ाइए ।

*

देखा देखी मत करें

दुखियों का दर्द हरें

एकता के साथ -साथ

मित्र को बनाइए।।

***

©  श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

माँ नर्मदे नगर, म.न. -12, फेज- 1, बिलहरी, जबलपुर ( म. प्र.) 482020

मो. 7024285788, [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments