श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी रचना – अब शहर में अखबार बहुत हैं… । आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 243 ☆
☆ कविता – अब शहर में अखबार बहुत हैं… ☆ श्री संतोष नेमा ☆
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खबरों के कारोबार बहुत हैं
अब शहर में अखबार बहुत हैं
होता है पढ़ कर मन भी विचलित
हिंसा , लूट, बलात्कार बहुत हैं
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खबरी चैनलों की भरमार है
खबरें कैद होती बेशुमार हैं
पर दिखती वह हैं जिन पर उनको
मिलता जिनसे माफिक इश्तहार है
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रद्दी चौकी का चौराहा
जो भी निकला वही कराहा
बाएं मोड़ भी गायब दिखते
चलते तब जिसने जब चाहा
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लाल बत्ती ताकती रहती
नियम यह कितनों ने निभाया
कुछ केमरे देख कर चलते
जिसने चालान घर पहुंचाया
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© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
वरिष्ठ लेखक एवं साहित्यकार
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