प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित – “कविता  – क्यों है । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे.।) 

☆ काव्य धारा # 207 ☆ कविता – क्यों है ? ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

जब जानते हैं, सब यह है चार दिन का जीवन

तब साथ-संग रहते भी द्वेष भाव क्यों है ?

 *

हिलमिल के साथ रहने में सबको मिलती खुशियाँ

तो रिश्तेदारों से भी मन में दुराव क्यों है ?

 *

सद्‌भाव ही हवा में खिलते हैं फूल मन के

तब दूरियाँ बढाते  मन‌ मुटाव क्यों है?

 *

खुद अपना मन जलाते औरों को भी दुखाते

अनुचित तथा अकारण टकराव भाव क्यों है?

 *

दुनियाँ समझ न आती बाहर दिखाव होते भी

नाखुरा बने रहने का कुछ का स्वभाव क्यों है

 *

जब अपने अपने  घर में, खुशहाल हैं सभी तब

 मन में खिंचाव क्यों है अनुचित तनाव क्यों है?

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments