श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 141 ☆
☆ मुक्तक – ।नूतन नवीन वर्ष संदेश देता कुछ नया करने का। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
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=1=
किसी की हार किसी की जीत है।
कुछ दोस्तों की जगह नए मीत है।।
नई बात नया अंदाज नए साल में।
भरो मन प्रेम से जो रहा बिन प्रीत है।।
=2=
नववर्ष खत्म न हो ये जीवन गीत है।
प्रेम की धुन ही तो जीवन संगीत है।।
नव संकल्प आगाज हो नए साल में।
चलना साथ समय के ही सही रीत है।।
=3=
अतीत नहीं भविष्य दर्पण नया साल।
नए विचारों नव उत्साह सा विशाल ।।
जीवन दिया एकऔर मौका नए साल सा।
नव वर्ष में सोचना है कुछ नए ख्याल।।
=4=
उम्र का वर्ष कम नहीं अनुभव बढ़ा है।
उत्साह का पैमाना और ऊपर चढ़ा है।।
नया साल पैगाम देता कुछ नया करने का।
वो जीता मुश्किलों सामने रहता खड़ा है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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