श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 115 ☆ देश-परदेश – समय और साधन तो बदल गए लेकिन हम नहीं बदले ☆ श्री राकेश कुमार ☆
दो दशक पूर्व अजमेर से जयपुर बस द्वारा यात्रा करते हुए एक ग्रामीण को बीड़ी पीने से मना करने वाली सूचना की तरफ ध्यानाकर्षण किया था। उसने लपक कर कहा था, हम तो पहले भी बीड़ी पीते थे, अब भी पियेंगे। तू बड़ा आदमी है, तो अपनी माचिस की डिबिया (मारुति कार) में यात्रा किया कर, हम तो बस में बीड़ी पीते ही रहेंगे।
विगत सप्ताह जयपुर की मेट्रो ट्रेन में यात्रा करते हुए पढ़े लिखे प्रतीत हो रहे दो युवा तेज आवाज़ में मोबाइल पर राजनीतिक बहस के मजे ले रहे थे। मेट्रो में तेज आवाज़ के साथ मोबाइल उपयोग निषेध सूचना भी अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषा में बताई जाती है।
अब बीड़ी का चलन बदलकर गुटखे का हो चुका हैं। नियम तोड़ने के लिए नए साधन मोबाइल ही सहारा रह गया हैं। रेल यात्रा में देर रात्रि तक वीडियो सुने और देखे जाते हैं। पुराने समय में कुछ यात्री ट्रांजिस्टर लेकर चलते थे, लेकिन चलती ट्रेन में उसकी कनेक्टिविटी नहीं मिल पाती थी।
हवाई यात्रा जहां सब के बैठने का स्थान निश्चित होता है, लेकिन जैसे ही बोर्डिंग की सूचना मिलती है, पहले हम पहले हम के धक्के लगने लग जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय यात्रा में सीट नंबर के अनुसार प्रवेश मिलता है, तो कुछ स्थिति नियंत्रण में रहती हैं।
हवाई यात्रा की समाप्ति पर अधिकतर यात्री गंतव्य स्थान से बहुत पहले उठ कर केबिन से अपना सामान निकालने लग जाते हैं। उतरने की इतनी जल्दी होती है, मानो जहाज में आग लग गई हो। बाहर निकल कर सबका लगेज तो बेल्ट में एक साथ ही आता है। हम सब बेचैन प्राणी हो चुके हैं। सब को जल्दी रहती है, पर कारण कुछ विशेष नहीं होता है। इतनी शिक्षा और विगत कुछ वर्षों से तो व्हाट्स ऐप का भरपूर ज्ञान भी खूब मिला है, हम सबको, लेकिन हम नहीं बदलेंगे। यदि आज अवकाश है, फिर भी आप सब तो जल्दी जल्दी इस लेख को पढ़ रहें हैं, ना ?
© श्री राकेश कुमार
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