श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “सकल विश्व में शांति हो…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 159 – सकल विश्व में शांति हो… ☆
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नया वर्ष मंगल करे, दो हजार पच्चीस।
खुशियों की माला जपें,मिटे दिलों की टीस।।
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भारत-भू देती रही, अनुपम यह संदेश।
सकल विश्व में शांति हो, मंगलमय परिवेश।।
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सुख वैभव की कामना, मानव-मन की चाह।
प्रगतिशील जब हम बनें, मिल ही जाती राह।।
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सत्य सनातन की विजय, दिखती फिर से आज।
दफन हुए जो निकल कर, उगल रहे हैं राज।।
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समृद्धि-मार्ग पर है बढ़ा, भारत अपना देश।
चलने वाला अब नहीं, छल प्रपंच परिवेश।।
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महाकुंभ का आगमन, कर गंगा इस्नान।
जात-पात से दूर रह, रख मानवता मान।।
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मंगलमय की कामना, हम सब करते आज।
सकल विश्व में हो खुशी, सुखद शांति सरताज।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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