स्व. डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र”
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे सदैव हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते थे। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपका भावप्रवण कविता – कथा क्रम (स्वगत)…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 222 – कथा क्रम (स्वगत)…
(नारी, नदी या पाषाणी हो माधवी (कथा काव्य) से )
क्रमशः आगे…
क्या
याद हैं तुम्हें
अपने किसी
शिशु का चेहरा ?
मन में
बसा पाई
उनकी किलकारी?
क्या तुम्हारी स्मृति में है
बाहुओं का कसाव
और
चुम्बनों का स्वाद ?
नहीं, नहीं,
तुम्हें कुछ याद नहीं होगा।
जड़वत किये
कार्य का
स्मरण कैसा ।
तुम्हारा
आचरण रहा
वर्तमान की
‘सरोगेट मदर’ की तरह।
सच बताना
क्या मिला तुम्हें
आकुल स्पर्शो में
उत्तप्त साँसों में।
क्या उत्तप्त स्पर्श
फसल काटने की
आतुरता से
भरे नहीं थे?
माधवी,
तुम्हें किसी ने
☆
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
साभार : डॉ भावना शुक्ल
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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