सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम गीत – जीवन एक चुनौती…।
रचना संसार # 37 – गीत – जीवन एक चुनौती… ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
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संघर्षों के जीवन में,
बस मैंने तो प्यार किया।
जीवन एक चुनौती है,
हँस कर के स्वीकार किया।।
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शूल चुभे थे हिय में तो,
अंगारों की शैय्या थी।
तूफानों सा जीवन था,
और भँवर में नैय्या थी।।
धीरज खोया नहीं कभी ।
सपनों को साकार किया।।
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संघर्षों के जीवन में,
बस मैं ने तो प्यार किया।
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पाषाणों के नगरों में,
क्षुब्ध हुई शहनाई है।
प्राणों का भी मोल नहीं,
लक्ष्य हीन तरुणाई है।।
दुख का सागर जीवन भी
हिम्मत से नित पार किया।
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संघर्षों के जीवन में,
बस मैं ने तो प्यार किया।
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दावानल सी आँधी ये,
अंगारे सँग में लाती।
ज्वार तिमिर जब जब उठता ,
उषा दूर फिर हो जाती।।
कंपित है परछाईं पर,
नहीं कभी प्रतिकार किया।
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संघर्षों के जीवन में,
बस मैंने तो प्यार किया।
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रिश्ते नाते झूठे सब,
पैसों का अब रेला है।
स्वार्थ भरा सारा जग है,
मानव हुआ अकेला है।।
मानव ने तो पग-पग पर
रिश्तों का व्यापार किया ।
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संघर्षों के जीवन में,
बस मैं ने तो प्यार किया।
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© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)
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