प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित – “कविता  – बापू का सपना। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे.।) 

☆ काव्य धारा # 210 ☆ कविता – बापू का सपना ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

बापू का सपना था—भारत में होगा जब अपना राज ।

गाँव-गाँव में हर गरीब के दुख का होगा सही इलाज ॥

*

कोई न होगा नंगा – भूखा, कोई न तब होगा मोहताज ।

राम राज्य की सुख-सुविधाएँ देगा सबको सफल स्वराज ॥

*

पर यह क्या बापू गये उनके साथ गये उनके अरमान।

रहा न अब नेताओं को भी उनके उपदेशों का ध्यान ॥

*

गाँधी कोई भगवान नहीं थे, वे भी थे हमसे इन्सान ।

किन्तु विचारों औ’ कर्मों से वे इतने बन गये महान् ॥

*

बहुत जरूरी यदि हम सबको देना है उनको सन्मान ।

हम उनका जीवन  समझें, करे काम कुछ उन्हीं समान ॥

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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