हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 220 – ग्रहों का कुंभ : ९ दोहे ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक कविता – ग्रहों का कुंभ : ९ दोहे )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 220 ☆

ग्रहों का कुंभ : ९ दोहे ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

नीलाभित नभ में लगा, कुंभ ग्रहों का मीत।

रूप राशि शशि को पुलक शुक्र निहारे रीत।।

दिनकर हँस स्वागत करे, उषा रश्मि शुभ स्नान।

सिंहासन आसीन गुरु, पा श्रद्धा-सम्मान।।

राई-नौन लिए शनि, नजर उतारे मौन।

बुध सतर्क हो खोजता, राहु-केतु हैं कौन?

मंगल थानेदार ने, दिया अमंगल रोक।

जन-गण जमघट सितारे, पूज रहे आलोक।।

हर्षल को शिकवा यही, कर न सका व्यापार।

नैपच्यून ने मान ली, कर विरोध निज हार।।

धरती धरती धैर्य दे, हर ग्रह को आशीष।

रक्षा करिए शारदा, चित्रगुप्त जग ईश।।

आप अपर्णा पधारीं, शिव गणपति के संग।

कार्तिकेय सौंदर्य लख, मोहित हुए अनंग।।

रमा रमा में मन रहा, हरि का वृंदा भूल।

लीन राधिका साधिका, निरख कान्ह-ब्रज धूल।।

नेह नर्मदा नहाए, गंगा थामे हाथ।।

सिंधु ब्रह्मपुत्रा जमुन, कावेरी के साथ।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२४.१.२०२५

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

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 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/स्व.जय प्रकाश पाण्डेय ≈