श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 147 ☆
☆ मुक्तक – ।। बाद जाने के भी सबको बहुत याद आओ तुम ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
=1=
बदन को नहीं किरदार को महकाओ तुम।
हमेशा प्रेम का दीपक ही जलाओ तुम।।
दुआ लो और दुआ दो यही काम हो तुम्हारा।
छूटे रिश्तों को जरा फिर गले लगाओ तुम।।
=2=
जो वादा किया उसको जरा निभाओ तुम।
मत किसी की राह में कांटे बिछायो तुम।।
दर्द में हर किसी के हमदर्द बनो तुम जरूर।
अंधेरों में किसीको रोशनी भी दिखाओ तुम।।
=3=
तुम्हारे बिगड़े बोल न कभी दुर्व्यवहार बने।
कभी किसीके दुख का नहींआप आधार बने।।
बनना है तो बने डूबते को तिनके का सहारा।
सिखाओ बच्चों को कैसे भविष्य कर्णधार बने।।
=4=
हो सके जितना प्रेम के ही गीत सुनाओ तुम।
भूलकर भी मत नफरत की दीवार उठाओ तुम।।
करनी का फल कुफल मिलता इसी जीवन में।
बाद जाने के भी सबको बहुत याद आओ तुम।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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