आचार्य भगवत दुबे

(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर आचार्य भगवत दुबे जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया है।सीमित शब्दों में आपकी उपलब्धियों का उल्लेख अकल्पनीय है। आचार्य भगवत दुबे जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 ☆ हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ आचार्य भगवत दुबे – व्यक्तित्व और कृतित्व ☆. आप निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। हमारे विशेष अनुरोध पर आपने अपना साहित्य हमारे प्रबुद्ध पाठकों से साझा करना सहर्ष स्वीकार किया है। अब आप आचार्य जी की रचनाएँ प्रत्येक मंगलवार को आत्मसात कर सकेंगे।  आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना – हम फकीरों की दौलत महज प्रेम है।)

✍  साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ कादम्बरी # 90 – हम फकीरों की दौलत महज प्रेम है… ☆ आचार्य भगवत दुबे ✍

तो अधरों से जब आचमन कर लिया 

देह का, हमने सुरभित चमन कर लिया

*

तेरे यौवन की बेदी, दहकती मिली 

पुण्यफल लेने, मैंने हवन कर लिया

*

इश्क आगाज था, तृप्ति अंजाम है 

एक संसार का, नव सृजन कर लिया

*

हुस्न, छनकर, नक़ाबों से आता रहा 

लाख पर्दो का, तुमने जतन कर लिया

*

मेरी आराध्य, आराधना तुम ही हो 

मान ईश्वर, तुम्हें ही नमन कर लिया

*

हम फकीरों की दौलत, महज प्रेम है 

इस जहाँ में, यही प्राप्त धन कर लिया

https://www.bhagwatdubey.com

© आचार्य भगवत दुबे

82, पी एन्ड टी कॉलोनी, जसूजा सिटी, पोस्ट गढ़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Ajay

बहुत सुन्दर.